देश में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद बीजेपी को कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी भाजपा को करारा झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार यानी, कि 1 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हस्तक्षेप करने से साफ इंकार कर दिया है.
आपको बता दें, कि भाजपा ने पंचायत चुनाव के पुननिर्धारण और और अर्धसैनिक बलों की तैनाती करने की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने भाजपा की इस दलील को खारिज कर दिया है.
हालाँकि, आर के अग्रवाल और अभय मनोहर की पीठ ने असंतुष्टों उम्मीदवारों को राज्य निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाने की इजाजत दे दी है.
बीजेपी ने 6 मार्च को न्यायालय से कहा था, कि पश्चिमी बंगाल में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है, क्योंकि सत्तारुण तृणमूल कांग्रेस व्यापक पैमाने पर चुनावी हिंसा में लिप्त है और आगामी पंचायत चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार को पर्चा दाखिल नहीं करने दे रही है.
बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया, कि पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नियुक्त सहायक पंचायत चुनाव पंजीकरण अधिकारी बीजेपी उम्मीदवारों को नामांकन के फॉर्म देने से इंकार कर रहा है.
वीडियो में नामांकन पत्रों को जारी करने और उन्हें स्वीकार करने के लिए सहायक पंचायत निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को नामित किया है.
पंचायत चुनाव 1, 3 और 5 मई को होने है. बीते 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता की वकील ऐश्वर्या भाटी ने आरोप लगाया था, कि हाल के समय में भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा की गई है.
भाटी ने राज्य में 4 अप्रैल को एक दलित नेता की हत्या का भी जिक्र किया था और परेशानी खड़ी करने के लिए तृणमूल कांग्रेस की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था.
आपको बता दें, कि इससे पहले 4 अप्रैल को तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया था, कि राजभवन एक राजनीतिक पार्टी की इकाई के रूप में काम कर रही है. तृणमूल कांग्रेस का आरोप था, कि विपक्षी उम्मीदवार पश्चिम बंगाल में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को रोक रहे हैं.