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प्राइवेट कर्मचारियों की बढ़ी मुसीबत ? अब यहां भी GST लगाने की तैयारी में मोदी सरकार

देश में जब से सरकार ने जीएसटी के नियम लागु किये है तब से ही देश में जीएसटी चर्चा का विषय बनी हुई है और अब इसी बीच निजी क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों को भी जीएसटी काउंसलिंग की अगली बैठक में झटका लग सकता है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार अप्रत्यक्ष कमाई को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है. इसके लिए जरूरी नियमों में बदलाव और प्रस्ताव को काउंसलिंग की अगली बैठक में हरी झंडी मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ, तो निजी क्षेत्र के जिन कर्मचारियों को रिम्बर्समेंट के रूप में वेतन का बड़ा हिस्सा मिलता है, उन्हें टैक्स चुकाना होगा.

रिम्बर्समेंट को जीएसटी के दायरे में लाने का विचार अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) के कैंटीन शुल्क पर एक हालिया फैसले से पनपा है.

एएआर ने कहा है, कि कर्मचारी से रिकवर किया गया कैंटीन शुल्क जीएसटी के दायरे में आता है. इस फैसले से प्रभावित होकर वर्तमान नियोक्ता टैक्स बचाने के लिए कैंटीन सेवाओं का शुल्क लेना बंद कर सकते हैं. जिससे वेतन पैकेज पर प्रभाव पड़ेगा. नियोक्ता अपने कर्मचारी की कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) में बढ़ोतरी करना नहीं चाहेंगे.

इंडिया टुडे ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, कि एएआर के फैसले जीएसटी काउंसलिंग पर बाध्य नहीं है. दोनों संस्था एक दूसरे से स्वतंत्र है. 

एएआर वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है और इसका अधिकतर काम आयकर विभाग से जुड़ा है. जबकि जीएसटी पर एक अलग जीएसटी काउंसलिंग फैसले करती है फिर भी जीएसटी काउंसलिंग नियमों में बदलाव करते समय एएआर द्वारा दिए गये फैसलों पर विचार कर सकती है.