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सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता को दी राहत, जाने पूरा मामला

कांग्रेस और बीजेपी देश की दो ऐसी बड़ी पार्टी है जो एक-दुसरे पर आरोप लगाती रहती है और इन आरोपों के चलते एक मामला सामने आया है.

दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के एक नेता को मानहानि के एक मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई 2 साल की सजा के आदेश को निरस्त कर दिया है.

दरअसल, कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था, कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के परिवहन विभाग में कांस्टेबल की अवैध भर्ती में कथित तौर पर भूमिका निभाई थी.

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा के खिलाफ जून 2014 में मानहानि का एक मामला दर्ज कराया था.

मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के उनके खिलाफ अपमानजनक और झूठे बयान देने को लेकर मामला दर्ज कराया गया था.

मिश्रा ने 21 जून 2014 को भोपाल के संवाददाता सम्मेलन का आरोप लगाया था, कि मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के महाराष्ट्र के गोंदिया के 19 उम्मीदवारों की अवैध भर्ती की गई है. राज्य के वार्षिक परीक्षा मंडल पीईबी द्वारा ली गई परीक्षा के बाद यह भर्ती की गई थी. जिसे ‘व्यापम’ के नाम से भी जाना जाता है.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है, कि सरकारी वकील ने सबूतों कि कोई छानबीन नहीं की. जिसके आधार पर सक्षम प्राधिकार से मिश्रा  को अभियोजित करने की मंजूरी दी गई थी. पीठ के सदस्यों ने न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति एमएम शांतानगौदर भी शामिल थे. पीठ ने कहा, कि मिश्रा के खिलाफ शिकायत में दम नहीं है.