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UAE में बन रहा पहला हिं’दू मंदिर, निर्माण में नहीं होगा किसी भी लोहा-स्‍टील का इस्तेमाल

संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में पहले हिं/दू मं/दिर का निर्माण किया जा रहा है। इस मं/दिर के निर्माण के लिए किसी भी प्रकार के इस्पात या फिर लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके निर्माण में सिर्फ भारत की पारंपरिक वास्तुकला के तहत बनाया जा रहा है। इसकी जानकारी मंदिर समिति के अधिकारियों ने दी है। इसको लेकर अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि मंदिर की नींव को कंकरीट से भरने का काम पूरा कर लिया गया। साथ ही इस मं/दी को खासतौर पर इको फ्रेंडली तरीके से बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है।

वहीं इस मं/दिर निर्माण को लेकर मंदिर समिति के प्रवक्ता अशोक कोटेचा ने गल्फ न्यूज़ को जानकारी दी है कि आमतौर पर देखा गया है कि किसी भी भवन की बुनियाद में कंक्रीट और लोहे का इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि भारत की पारंपरिक मं/दिर वास्तुकला के अनुसार इस मं/दिर के निर्माण में इस्पात या फिर किसी सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर की नींव को मजबूती देने के लिए फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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आपको बता दें, बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में दुबई के दौरे के दौरान ओपेरा हाउस में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मंदिर रखी थी, जहां समारोह की शुरुआत प्रार्थनाओं के साथ हुई और इसके बाद बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (बीएपीएस) मंदिर की नींव में फ्लाई ऐश कंकरीट भरने का काम पूरा हुआ और तब से मंदिर के निर्णाण का काम शुरू हो चुका है।

गौरतलब है कि बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (बीएपीएस) मंदिर के निर्माण के लिए मौजूदा समय में 3,000 से ज्यादा कारीगर दिन रात लगे हुए हैं। इस मंदिर का बाहरी हिस्सा 12,250 टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बना होगा।
वहीं इस मंदिर पर सीडीए दुबई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओमर अल मुथन्ना ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विदेश में घर जैसा महसूस करने के लिए धर्म एक महत्वपूर्ण कारक है। हम यह चाहते हैं कि आप यहां आए और घर जैसा महसूस करे। इसके लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।