भारतीय क्रिकेट में अगर क्लास, अनुशासन और लगातार रन बनाने की भूख का कोई सबसे भरोसेमंद चेहरा है, तो वह हैं विराट कोहली। घरेलू क्रिकेट में वापसी करते हुए विराट कोहली ने यह साफ कर दिया कि फॉर्म अस्थायी हो सकता है, लेकिन क्लास कभी आउट ऑफ फैशन नहीं होता। विजय हजारे ट्रॉफी के अपने पहले ही मुकाबले में कोहली ने 101 गेंदों पर 131 रनों की शानदार पारी खेली, जिसमें 11 चौके और 3 छक्के शामिल रहे। यह पारी न तो जल्दबाज़ी में थी और न ही सिर्फ आंकड़ों के लिए—यह एक परिपक्व, नियंत्रित और मैच की ज़रूरत के हिसाब से खेली गई पारी थी।
पहले मैच में ही लय का संकेत
घरेलू वनडे टूर्नामेंट में पहला मैच अक्सर बल्लेबाज़ों के लिए लय पकड़ने का होता है। पिच, गेंद और फील्डिंग कंडीशंस को समझने में समय लगता है। लेकिन विराट कोहली ने इस मुकाबले में शुरुआत से ही दिखा दिया कि उनकी तैयारी कितनी ठोस है। शुरुआती ओवरों में उन्होंने रिस्क कम रखा, गेंद को करीब से देखा और स्ट्रोक्स की टाइमिंग पर फोकस किया। यही वजह रही कि पावरप्ले में रन बिना किसी जल्दबाज़ी के आते रहे।
101 गेंदों में 131 रन: धैर्य और आक्रामकता का संतुलन
कोहली की यह पारी उस सोच का उदाहरण थी, जिसमें वनडे क्रिकेट की असली आत्मा दिखती है। उन्होंने स्ट्राइक रोटेशन को प्राथमिकता दी, सिंगल-डबल्स से स्कोरबोर्ड चलाया और जब गेंदबाज़ों ने ज़रा भी ढील दी, तो चौकों के साथ सज़ा दी। 11 चौकों में ज़्यादातर शॉट्स ऑफ-साइड में थे—कवर ड्राइव, एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से फ्लो करता हुआ बल्ला और पॉइंट के गैप में सटीक प्लेसमेंट।
छक्के कम, असर ज़्यादा
इस पारी में विराट कोहली ने सिर्फ 3 छक्के लगाए, लेकिन हर छक्का मैच के मोमेंटम को बदलने वाला था। यह दर्शाता है कि उन्होंने पावर हिटिंग को जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया। स्पिन के खिलाफ लॉन्ग ऑन और लॉन्ग ऑफ के ऊपर लगाए गए शॉट्स ने साफ कर दिया कि कोहली अब सिर्फ एंकर नहीं, बल्कि स्थिति के अनुसार गियर बदलने वाले बल्लेबाज़ हैं।
गेंदबाज़ों पर लगातार दबाव
विराट कोहली की बल्लेबाज़ी की सबसे बड़ी ताकत यह रही कि उन्होंने गेंदबाज़ों को कभी सेट होने का मौका नहीं दिया। अगर कोई गेंदबाज़ लगातार ऑफ स्टंप के बाहर गेंद डाल रहा था, तो कोहली ने सिंगल लेकर स्ट्राइक बदली। वहीं, थोड़ी भी शॉर्ट या फुल गेंद पर तुरंत बाउंड्री निकाली। इससे फील्डिंग साइड को बार-बार फील्ड बदलनी पड़ी और गेंदबाज़ों की लाइन-लेंथ बिगड़ती चली गई।
टीम के लिए पारी का महत्व
यह शतक सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं था। टीम जब शुरुआती विकेट खो चुकी थी, तब कोहली ने पारी को संभाला। मिडिल ओवर्स में रनरेट को स्थिर रखा और आख़िरी ओवर्स के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया। यही वजह है कि यह पारी स्कोरकार्ड से कहीं ज़्यादा मैच की कहानी बताती है। यह एक जिम्मेदार सीनियर खिलाड़ी की पारी थी, जो जानता है कि कब रुकना है और कब आगे बढ़ना है।
घरेलू क्रिकेट में विराट की मौजूदगी का असर
विराट कोहली का घरेलू क्रिकेट खेलना सिर्फ टीम के लिए नहीं, बल्कि पूरे टूर्नामेंट के लिए फायदेमंद माना जाता है। युवा खिलाड़ियों को उनके साथ बल्लेबाज़ी करने, ड्रेसिंग रूम साझा करने और मैदान पर निर्णय लेते देखने का मौका मिलता है। इस मैच में भी युवा बल्लेबाज़ों ने कोहली के साथ क्रीज़ पर रहते हुए अधिक आत्मविश्वास दिखाया।
चयनकर्ताओं और मैनेजमेंट के लिए साफ संकेत
विजय हजारे ट्रॉफी में इस तरह की पारी राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के लिए अहम होती है। कोहली ने दिखा दिया कि वह लंबे फॉर्मेट में अभी भी पूरी तरह फिट और फोकस्ड हैं। उनकी फिटनेस, शॉट सिलेक्शन और टेम्परामेंट यह संकेत देते हैं कि बड़े टूर्नामेंट्स से पहले वह सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
फैंस की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया
मैच के दौरान ही विराट कोहली के शॉट्स की क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं। फैंस ने इसे “विंटेज कोहली” करार दिया। कई क्रिकेट एक्सपर्ट्स ने भी इस पारी को वनडे क्रिकेट की बेंचमार्क इनिंग कहा—जहां धैर्य, तकनीक और आक्रामकता तीनों का सही संतुलन दिखा।
विजय हजारे ट्रॉफी के पहले ही मैच में 101 गेंदों पर 131 रन बनाकर विराट कोहली ने यह साफ कर दिया कि अनुभव और मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। यह पारी न सिर्फ रन बनाने की कहानी है, बल्कि क्रिकेट को समझने, परिस्थितियों के अनुसार खेलने और टीम के लिए खड़े होने की मिसाल भी है। अगर यही लय बनी रही, तो आने वाले समय में कोहली एक बार फिर बड़े मंचों पर भारत के लिए निर्णायक भूमिका निभाते नज़र आ सकते हैं।