New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विदेशों में फंसे भारतीय छात्रों, ट्रेवलर और तीर्थ यात्रियों को वहां से निकालने वाली याचिका पर सुनवाई की। जिसकी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर काम करने के निर्देश देने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को भारत में फैलने से रोकने के लिए लगें संपूर्ण लॉकडाउन की वजहस दूसरे देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को कोरोना से बचाव के लिए एडवाइज दी हैं कि ‘वो लोग जहां हैं वहीं सुरक्षित रहें’। साफ तौर पर कहे तो दूसरे देशो में फंसे भारतीयों को वापस भारत लाने पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के लगाए गए लॉकडाउन नियमों के बीच में पड़ने से इंकार किया है।
चीफ जस्टिस एस.ए बोबडे सहित जस्टिस एल नागेश्वर राव और एम. एम शांतनागौदर की पीठ वाली बैंच ने विदेश में फंसे भारतीय को वापस लाने वाली सात यचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की प्रक्रिया की। इन याचिका में अमेरिका, UAE, ब्रिटेन और ईरान समेत कुछ और खाड़ी देश में फंसे स्टूडेट, दीहाड़ी मजदूर, कंपनी इम्प्लोई और इंडियन टूरिस्ट को वापस भारत बुलाने की अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के हेयरिंग सेशन के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समझाते हुए कहा कि इस समय, सरकार के लिए विदेशों से विमानों की लैंडिंग के लिए हवाई क्षेत्र खोलना संभव नहीं होगा।
कुछ देश ऐसे है जहां भारतीय नागरिक और छात्र फंस गए हैं वहां पर कोरोना वायरस के केस काफी बड़े लेवल सामने आए है। ऐसे संकट के समय में वहां फंसे भारतीयों को वारस ला पाना असंभव है। केंद्र सरकार ने पहले ही अपने हलफनामे में इस सभी बातों के बारे में पूरी जानकारी दी थी, अब उन्होंने फिर से इसको दोहराया है। दुनियाभर में लोगों का वीजा एक्सटेशन हो रहा है। मेरे भी एफेडेविट में मैंने साफ कर दिया हैं कि अभी ये सब असंभव है।