वर्ल्ड कप में सीनियर खिलाड़ियों से ज्यादा बेहतर साबित होते ये 3 खिलाड़ी, लेकिन चयनकर्ताओं ने किया नजरअंदाज

जबसे भारत सेमीफाइनल में टी20I वर्ल्ड कप से बाहर हुआ हैं, टीम के सलेक्शन को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। टीम में 9 खिलाड़ी 30 साल से ऊपर के थे। टीम में अनुभव को प्रदर्शन से ज्यादा महत्व दिया गया। शायद ये ही टीम के हार का कारण बना।

वर्ल्ड कप में सीनियर खिलाड़ियों से ज्यादा बेहतर साबित होते ये 3 खिलाड़ी, लेकिन चयनकर्ताओं ने किया नजरअंदाज

1. पृथ्वी शॉ

पृथ्वी शाॅ इस साल डोमेस्टिक सर्किट में लाजवाब रहे हैं। उन्होंने धमाकेदार और बेखौफ तरीके से बल्लेबाजी की। टी 20I में बेखौफ खेलना ही सबसे जरूरी है।

इस वर्ल्ड कप में भारत की सलामी जोड़ी ने भारत को एक भी अच्छी शुरुआत नहीं दी। जब जब टीम को के एल राहुल की जरूरत थी वह फेल हुए। ऐसे में युवा खिलाड़ी पृथ्वी शॉ बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। सैयद मुस्ताक अली ट्रॉफी में वह लीडिंग स्कोर थे वहां भी उन्होंने 180 से ऊपर की स्ट्राइक रेट से रन बनाए।

2. संजू सैमसन

इस टी 20I में सबसे ज्यादा निराश भारत के विकेटकीपर ने किया। न ऋषभ पंत चले ने ही दिनेश कार्तिक। इसके अलावा उनकी विकेटकीपिंग भी काफी औसत रही।

ऐसे में संजू सैमसन जैसा खिलाड़ी जो इन फॉर्म थे इन दोनो से बेहतर साबित हो सकते थे। इस वर्ल्ड कप भारत की फिनिशिंग अच्छी नहीं रही। जिसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा। संजू सैमसन की सबसे खास बात ये है कि वह किसी भी पोजिशन में बैटिंग कर सकते हैं।

3. रवि बिश्नोई

रविचंद्रन अश्विन का प्रदर्शन इस वर्ल्ड कप में औसत रहा। उनमें पहली जैसी धार नज़र नहीं आई। उनके बदले स्टैंड बाय खिलाड़ी रवि बिश्नोई ज्यादा बेहतर साबित हो सकते थे।

रवि बिश्नोई ने इस साल खुद को कई बार साबित किया है। उन्होंने अपनी गेंदबाजी से टीम को मुश्किल से निकाला हैं। ऐसे में इन फॉर्म गेंदबाज को मैन टीम में न रखा जाना टीम के खिलाफ गया।