सपने देखना जरूरी है क्योंकि एक दिन ये सपने जरूर पूरे होते है। ये साबित किया है जयदेव उनादकट ने जिन्होंने 12 साल बाद टेस्ट टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में जगह बनाई हैं।
भारत आज बांग्लादेश के खिलाफ दूसरा टेस्ट खेल रहे है। बांग्लादेश के कैप्टन शाकिब उल हसन ने टॉस जीत पहले बल्लेबाजी का फैसला किया हैं।
जयदेव की 12 साल बाद हुई टेस्ट टीम के प्लेइंग इलेवन में वापसी
इस बीच भारत की प्लेइंग इलेवन में एक बदलाव हुआ हैं। जहां पिछले मैच के मैन ऑफ द मैच, कुलदीप यादव के बदले जयदेव उनादकट को जगह मिली हैं। शेर ए बंगला स्टेडियम में खेले जा रहे इस मैच में भारत की टीम पहले गेंदबाजी करेगी।
ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि इतने साल बाद अंतराष्ट्रीय रेड गेंद क्रिकेट में वापसी करने वाले उनादकट किस तरह की गेंदबाजी करते है।
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जहीर खान की तरह लेफ्ट हैंडेड मीडियम पेसर गेंद से मचाया है कहर
भारतीय टीम में अभी मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह जैसे बड़े नाम गायब है। ऐसे में जयदेव के पास खुद को साबित करने का बहुत अच्छा मौका है। जयदेव एक लेफ्ट आर्म मीडियम पेसर है और बहुत हद तक जहीर खान की याद दिलाते है।
जहीर ने भी अपने समय में गेंद से बहुत कहर मचाया था। ठीक वैसा ही जयदेव ने डोमेस्टिक लेवल पर गेंदबाजी की थी। हाल में ही वह विजय हजारे ट्रॉफी में हाईएस्ट विकेट टेकर रहे थे। वहीं ईरानी ट्रॉफी में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था।
डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन की बदौलत टीम में बनाई जगह
डोमेस्टिक क्रिकेट में उनके प्रदर्शन की बात करे तो वह लाजवाब रहे है। विजय हजारे ट्रॉफी में जहां वह 19 विकेट ले कर टॉप में रहे। वहीं ईरानी ट्रॉफी और दिलीप ट्रॉफी में भी वह लाजवाब थे।
जयदेव ने अपना आखिरी और एकमात्र टेस्ट 2010 में सेंचुरियन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला था जिसमें वह कोई भी विकेट नहीं ले पाए थे।
अब डोमेस्टिक सर्किट में लाजवाब प्रदर्शन के बाद मिली इस जगह को वह किसी भी तरह खोना नहीं चाहेंगे। इस टेस्ट में वह अपने नाम ज्यादा से ज्यादा विकेट करना चाहेंगे।
जयदेव के पास साबित करने के लिए बहुत कुछ हैं। वह इस प्लेइंग में तेज गेंदबाजी में सबसे ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी है। उन्हें यूं ही डोमेस्टिक जायंट नहीं कहा जाता।
उन्होंने ये नाम पाने के लिए सालों की मेहनत की हैं। इसी साल उन्होंने जनवरी में ट्वीट कर रेड गेंद क्रिकेट में मौके की बात भी कहीं थीं।
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