New Delhi: भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के कुछ निर्यातों को मंजूरी दे दी है, भारत सरकार ने मंगलवार को ये साफ कर दिया हैं कि भारत कोरोना से जूझ रहें कुछ देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा निर्यात करेगी। सरकार ने ये भी कहा कि भारत की जरूरतों पहले रखा जाएगा। मलेरिया का इलाज करने वाली इस द’वा को संभावित कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प की साफ धमकी के 6 घंटे बाद भारत ने अपनी ओर से ये बायन दिया है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को ध’मकी देते हुए कहा था कि अगर भारत उन्हें उनकी पर्सनल रिक्वेस्ट पर भी दवा नहीं भेजता है तो वो भारत पर कार्रवाई करेगा। इससे पहले शनिवार को डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से रिक्वेस्ट की थी कि भारत उने देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का निर्यात करे। बता दें कि मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन गोलियों का उपयोग किया जाता है। भारत में मलेरिया के इलाज हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन गोलिया सबसे पुरानी, सस्ती और असरदार दवा है।
In view of the humanitarian aspects of #COVID19 pandemic, it has been decided that India would licence paracetamol & Hydroxychloroquine in appropriate quantities to all our neighbouring countries who are dependent on our capabilities: Ministry of External Affairs (MEA) pic.twitter.com/W7Vox2sd2E
— ANI (@ANI) April 7, 2020
पिछले एक हफ्ता से अमेरिकी राष्ट्रपति कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का आक्रामक रूप से प्रचार कर रहे हैं। हालांकि इस बारे में अभी तक कोई मेडिकल कंफर्मेंशन नही है। बता दें कि भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े उत्पादक ने घरेलू स्टॉक को स्टोर करने के लिए दवा पर एक अस्थायी निर्यात प्रतिबंध लगा दिया है।
लेकिन मंगलवार सुबह एक बयान में सरकार के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि, भारत ने अधिकारियों द्वारा “भारत ने इंटरनेशनल ग्रुप के साथ हमेशा सहयोग किया और उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाए है। कई देशो में भारत के नागरिक रह रहे हैं। कोरोना के कारण उन्हें निकाला गया, इंसानियत के तौर पर भारत सरकार ने फैसला किया हैं कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल को उन देशों में भेजा जाएगा। जिन्हें भारत से उम्मीदे है और जहां इसकी जरूरत है।”