नागरिकता संशो/धन कानून को लेकर सि/यासी गलियारे में जमकर सि/यासत हो रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस समेत ज्यादातर वि/पक्षी दल इसका विरो/ध जता रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन कर रही है। इसी बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने नागरिकता सं/शोधन का/नून के खिला/फ शाहीन बाग में हो रहे प्रद/र्शन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खि/लाफ सड़क पर जि/द कर के बैठने को आतं/कवा/द करा/र दिया।
केरल के राज्यपाल ने एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आप संसद से कोई का/नून या फिर सरकार की किसी भी पॉलिसी का मत/भेद जता सकते हैं। यह आपका अधि/कार है और इस म/तभेद के अधिकार का सम्मान भी किया जाना चाहिए, लेकिन अगर पांच लोग दिल्ली के विज्ञान भवन में जाकर बैठ जाए और यह कहे कि जब तक संसद हमारे मुताबिक कोई प्रस्ताव पारित नहीं करती है, तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे, तो यह कहना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। यह एक दूसरी तरह का आ’तंक’वाद है।
Kerala Governor Arif Mohammad Khan, in Delhi:..but five people sit outside Vigyan Bhavan, and say 'we shall not move from here unless Parliament adopts a resolution which we like them to adopt', this is not the way. This is another form of terrorism.(2/2) https://t.co/L67ZvRrjtw
— ANI (@ANI) February 21, 2020
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ ने नागरिकता संशो/धन कानून पर प्रतिक्रिया दी है। इसके पहले भी वे कई द/फा इसके विरो/ध करने वाले लोगों पर नि/शाना सा/ध चुके हैं। हाल ही में जब केरल विधानसभा में नागरिकता संधो/धन कानून के खिला’फ प्रस्ताव पारित किया गया था और वहां पर सरकारी पैसे से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राष्ट्रीय अखबारों में विज्ञापन का मामला सामने आया था, तब इसके बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एतरा’ज जताया था।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि, आप राजनीतिक प्रचार के लिए जनता के पैसे को इस तरह बर्बा’द नहीं कर सकते। यह पूरी तरह से गलत है।अपनी बात को जारी रखते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आगे कहा था कि यदि यह विज्ञापन किसी राजनीति दल की ओर से जारी किया गया होता तो किसी को कोई समस्या नहीं होती, हालांकि केरल सरकार ने 3 राष्ट्रीय अखबारों में विज्ञापन देकर यह कहा कि सरकार ने जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कई साहसिक फैसले। इसमें नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर पर रो’क लगाने की बात भी कही है। यह थोड़ा मेरे लिए अजीब है।