टीम इंडिया ने अब तक दो बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता है जिसमें भारत ने अपना पहला वर्ल्ड कप साल 1983 में जीता था तथा दूसरा वर्ल्ड कप 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीता था।
दोनों ही समय भारतीय टीम में कई दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे जिनके कारण विरोधी टीमों को मैच में काफी संघर्ष करना पड़ता था।
भले ही दोनों वर्ल्ड कप के बीच 28 सालों का अंतर है परंतु दो बार वर्ल्ड कप जीतने पर भारत को गर्व है। आज हम आपको दोनों ही वर्ल्ड कप में जीतने वाली टीम को मिलाकर बेस्ट प्लेइंग इलेवन के बारे में बताने जा रहे हैं।
ओपनर वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर विश्व क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ी हैं। मास्टर ब्लास्टर के नाम से विख्यात सचिन तेंदुलकर के नाम कई रिकॉर्ड है।
वहीं साल 2011 विश्व कप के दौरान सचिन तेंदुलकर 37 वर्ष के थे और उन्होंने मैच में भारत को वर्ल्ड कप का चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साल 2011 विश्व कप में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन सचिन तेंदुलकर ने बनाए थे।
वहीं वीरेंद्र सहवाग पारी की शुरुआत में किसी भी टीम के गेंदबाजों का मनोबल तोड़ने का हुनर रखते थे। मैच में वीरेंद्र सहवाग लगातार रन रेट को बढ़ाते थे। जिसके कारण अन्य बल्लेबाजों को ज्यादा समय क्रीज पर मिलता था।
मिडल ऑर्डर मोहिंदर अमरनाथ गौतम गंभीर और एमएस धोनी
वैसे तो गौतम गंभीर ओपनिंग की भूमिका निभाते थे। परंतु उन्हें तीन नंबर पर बल्लेबाजी करने भेजा गया। साल 2011 विश्व कप के फाइनल मैच में भारत के लिए सबसे ज्यादा गौतम गंभीर ने रन बनाए थे। जिसके बाद भारतीय टीम ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप का दूसरा खिताब अपने नाम किया। वहीं 1983 के विश्व कप में मोहिंदर अमरनाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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1983 विश्व कप के फाइनल और सेमीफाइनल दोनों मैचों में मोहिंदर अमरनाथ को मैन ऑफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया था वही एम एस धोनी क्रिकेट इतिहास के सबसे महान विकेटकीपर बल्लेबाज है। साल 2011 विश्व कप के फाइनल में प्रेशर की स्थिति में महेंद्र सिंह धोनी शानदार पारी खेली थी।
ऑलराउंडर – युवराज सिंह, रोजर बिन्नी और कपिल देव
साल 2011 के वर्ल्ड कप में युवराज सिंह को मैन ऑफ द टूर्नामेंट खिताब से नवाजा गया था। इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान युवराज सिंह ने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
वहीं 1983 के वर्ल्ड कप में कपिल देव ने भारतीय टीम की कमान संभाली थी और जिंबाब्वे के खिलाफ उन्होंने 175 रनों की शानदार पारी खेली थी जिससे कि बल्लेबाजों का मनोबल काफी ज्यादा बढ़ गया।
वही बल्लेबाजी और गेंदबाजी के अलावा फाइनल मैच में कपिल देव ने एक शानदार कैच किया था। 1983 विश्व कप में रोजर बिन्नी ने भी शानदार प्रदर्शन किया था। ऑल राउंडर रोजर बिन्नी इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने थे। उन्होंने कुल 18 विकेट अपने नाम किए थे।
गेंदबाज – हरभजन सिंह, जहीर खान और मदनलाल
1983 विश्व कप में गेंदबाज मदनलाल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। फाइनल मुकाबले में मदनलाल ने अपनी टीम को विवियन रिचर्ड्स का कीमती विकेट दिलाया था।
वहीं इस पूरे टूर्नामेंट में मदनलाल तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। वही साल 2011 के विश्व कप में भारतीय टीम की ओर से हरभजन सिंह बेहतरीन स्पिनर थे।
हरभजन सिंह मिडिल ओवर में विरोधी टीम की कमर तोड़ देते थे वही हरभजन सिंह के अलावा 2011 के विश्वकप में जाहिर खान भी तेज गेंदबाजों में शुमार थे। साल 2011 के विश्व कप में जाहिर खान ने कुल 21 विकेट लिए थे।
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