चंद्र ग्रहण एक प्रकार की खगोलीय स्थिति होती है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। ये घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है। इस घटना का वैज्ञानिक के साथ धार्मिक महत्व भी माना जाता है।
बता दें, इस साल का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को है। भारत में उपच्छाया चंद्रग्रहण दिखेगा। यह चंद्र ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और अमेरिका में दिखाई देगा। यह प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के कुछ हिस्सों से भी दिखाई देगा।
पंचांग के अनुसार, इस साल का पहला चंद्र ग्रहण सुबह 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और शाम 7 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक रिलीज के अनुसार, बुधवार को पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्से, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा के कुछ हिस्सों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से कुछ वक्त के लिए दिखाई देगा।ज्योतिष अनुसार इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा।
मान्यता के अनुसार, इस साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण कई मायनों में दुर्लभ है। ये ग्रहण वाले दिन सुपरमून कहलाएगा और ब्लड रेड रंग का होगा। ये दोनों संयोग कई सालों में एक बार आता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसे सुपर लूनर इवेंट कहा जाता है, क्योंकि ये सुपरमून भी होगा, ग्रहण भी होगा और चंद्रमा खूनी लाल रंग का दिखेगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान क्या न करें –
चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य न करें। इस दौरान भोजन बनाने और खाने से बचें। वाद-विवाद से बचें। भगवान की प्रतिमाओं को हाथ न लगाएं और तुलसी के पौधे के भी न छुएं। ग्रहण काल में सोना वर्जित माना जाता है।
चंद्र ग्रहण काल में क्या करें:
ग्रहण के समय मन ही मन अपने ईष्ट देव की अराधना करें। मंत्रोंच्चारण करने से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। ग्रहण की समाप्ति के बाद आटा, चावल, सतनज, चीनी आदि चीजों का जरूरतमंदों को दान करें। ग्रहण लगने से पहले खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख दें।