IPL Auction : इंडियन प्रीमियर लीग के 15 वें संस्करण के लिए सभी टीमों ने खिलाड़ी खरीद लिए हैं। बेंगलुरु में 2 दिनों तक चली नीलामी प्रक्रिया भी संपन्न हो गई है। इस बार की मेगा नीलामी में खिलाड़ियों पर जमकर करोड़ों रुपयों की बरसात हुई।
कई ऐसे भी खिलाड़ी रहें जिनको 10 करोड़ से भी अधिक की राशि देकर खरीदा गया है। मगर कुछ ऐसे भी प्लेयर नीलामी में शामिल हुए जिन्हें किसी भी फ्रेंचाइजी ने खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
आईपीएल ऑक्शन में करोड़ों में खरीदे जाने वाले खिलाड़ियों को आखिरकार कितने रुपए मिलते है? क्या जितने में नीलामी करने वाली टीमें खिलाड़ियों को खरीदते हैं उसके एवज में उन्हें पूरे पैसे मिल जाते हैं। ये सवाल अब मेगा नीलामी के बाद लगभग हर क्रिकेट फैंस के जेहन में उठ रहा है।
ऐसे में हम आपको इस सवाल का जवाब बताते हैं। मेगा ऑक्शन के दौरान बोली लगाकर खरीदे जाने वाले पैसे और मिलने वाले पैसे में फर्क होता है। लेकिन किसी भी खिलाड़ी को जिस रकम में टीमों द्वारा खरीदा जाता है उसे उतनी रकम नहीं मिलती है।
10 प्रतिशत टीडीएस काटकर मिलते हैं रुपये
यदि इंडियन प्लेयर की बात की जाए तो उन्हें मेगा ऑक्शन में मिलने वाली राशि में 10% की टीडीएस कटौती की जाती है। आयकर के नियम के अनुसार टीम खिलाड़ियों को रुपए देने से पहले टीडीएस काटती है।
इंडियन प्लेयर्स से कुल बोली का 10 फ़ीसदी टीडीएस काटा जाता है। इसके बाद खिलाड़ियों को आइटीआर फाइल करना होता है। टीडीएस कट आने के बाद खिलाड़ियों को शुद्ध आय के आधार पर टैक्स चुकाना पड़ता है।
टीडीएस कटकर आखिर किसके खाते में जाता है
गवर्नमेंट प्रत्येक खिलाड़ी पर टीडीएस की वसूली करती है चाहे वह खिलाड़ी भारत का हो या फिर कोई विदेशी खिलाड़ी हो। भारत के खिलाड़ी को 10% टीडीएस और विदेशी खिलाड़ी को 20% टीडीएस चुकाना पड़ता है।
टीडीएस काटने के बाद वे (विदेशी) अपनी राशि को अपने देश ले जा सकते हैं। एक खिलाड़ी कितनी रकम घर ले जा पाता है इसका अनुमान किसी को नहीं है। हर फ्रेंचाइजी प्लेयरों के साथ अलग-अलग प्रकार के अनुबंध करती हैं। और उन्हीं अनुबंध के आधार पर खिलाड़ियों को रकम मिलती है।