दुनियाभर के देशों में इस कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए कोविड-19 वैक्सीन का टीकाकरण किया जा रहा है। वहीं इस बीच दुनियाभर के कई विकसित देश इस कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन पासपोर्ट जैसा एहतियाती कदम उठाने जा रही है लेकिन भारत ने वैक्सीन पासपोर्ट की पहल का विरोध किया है और इसे भेदभाव करार दिया है।
जानकारी के अनुसार, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई विकसित देश वैक्सीन पासपोर्ट को जारी करने की तैयारी में है। वहीं यूरोपीय देशों ने भी अपने यहां वैक्सीन पासपोर्ट लागू करने का समर्थन किया है। वैक्सीन पासपोर्ट एक तरह से हेल्थ कार्ड है जिसमें कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़ी सभी जानकारी देनी अनिवार्य होंगी।
To deliver on the SDG mantra of 'Leave No One Behind', we must act, move & grow together towards a healthier future!
Called for heightened global collaborations at G7 Health Ministers Meeting while representing India, invited as guest nation at @G7 summit this year. pic.twitter.com/7GA8rRo8DD
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) June 4, 2021
वहीं इस हेल्थ क्रेड में कोरोना वैक्सीन लगी है या नहीं। कोरोना टेस्ट हुआ है या नहीं, और ये पॉजिटिव है या नेगेटिव आदी। जैसी कई सारी अहम जानकारी होंगी। वहीं वैक्सीन पासपोर्ट विदेशी यात्राओं के दौरान ही नहीं बल्कि किसी सार्वजनिक स्थान, स्टेडियम, दफ्तर, सिनेमा हॉल आदी में एंट्री लेते समय दिखाना अनिवार्य होगा। अगर आपका वैक्सीनेशन हुआ है तो आपको एंट्री दी जाएगी वरना आपको लौटा दिया जाएगा। वहीं भारत ने वैक्सीन पासपोर्ट की पहल का विरोध किया है।
शुक्रवार को जी-7 की हुई वर्चुअल बैठक में भारत की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कई विकासशील और पिछड़े देशों में वैक्सीन की उपलब्धता काफी कम है। ऐसे में यदि वैक्सीन को पासपोर्ट की तरह इस्तेमाल किया गया, तो उन देशों के लोग कहीं नहीं आ-जा पाएंगे। इस तरह की पहल बहुत ज्यादा भेदभावपूर्ण साबित हो सकती है।
आपको बता दें, कि भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत को आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया है। इसमें ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी गेस्ट कंट्री के तौर पर न्योता दिया गया था। जी-7 में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और इटली शामिल हैं।