नहीं रहे मिल्खा सिंह: जानिए कैसे पड़ा था उनका नाम ‘फ्लाइंग सिख’, जिंदगी में एक बात का रह गया मलाल

देश ने आज एक महान खिलाड़ी को खो दिया। 91 साल की उम्र में पूर्व ओलंपियन पद्मश्री मिल्खा सिंह ने देर रात पीजीआई चंडीगढ़ ने अं’तिम सांस ली। फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर मे मशहूर मिल्खा सिंह 19 मई को कोरोना संक्रमित मिले थे। इसके बाद उन्हें फोर्टिस मोहाली में भर्ती कराया गा था, हालांकि बीते तीन जून को हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया था, लेकिन बीते बुधवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी।

वहीं  शुक्रवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत एक बार फिर बिगड़ने लगी और उनका ऑक्सीजन स्तर नीचे गिरने लगा। पीजीआई के डॉक्टरों की सीनियर टीम उन पर नजर बनाए हुए थी, लेकिन देर रात उनकी हालत बि’गड़ गई और रात 11.40 बजे उन्होंने अं’तिम सांस ली।

2 3तीन बार के ओलिंपियन और भारत के महान धावक मिल्खा सिंह स्वतंत्र भारत के खेल सितारों में से एक थे। उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में अपना दबदबा कायम रखा। उनकी रफ्तार की दुनिया कायल थी। दिग्गज एथलीट का जन्म 20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान की धरती पर एक सिख परिवार में हुआ था। वह विभाजन के बाद भारत आ गए थे।
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जानिए कैसे पड़ा था मिल्खा का फ्लाइंग सिख नाम

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भारत के महान धावक मिल्खा सिंह ने राष्ट्रीय खेलों के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स में एक और एशियन गेम्स में 4 गोल्ड मेडल जीते, हालांकि क्या आप जानते हैं कि मिल्खा का नाम फ्लाइंग सिख कैसे पड़ा। इसके पीछे भी बेहत दिलचस्प वजह है। दरअसल मिल्खा ने लाहौर में पाकिस्तान के चोटी के धावक अब्दुल खालिक को शिकस्त दी थी, जिसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने ‘द फ्लाइंग सिख’ नाम दिया था। मिल्खा को पदक पहनाते हुए अयूब खान ने कहा, ‘आज मिल्खा दौड़ नहीं उड़ रहे थे इसलिए हम उन्हें फ्लाइंग सिख के खिताब का नजराना देते हैं।’

मिल्खा सिंह को जिंदगी में रहा इस बात का बेहद मलाल

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मिल्खा सिंह ने अपनी जिंदगी में खेल जगत में तमाम उपलब्धियां हासिल की, हालांकि उन्हें 1960 के रोम ओलंपिक में मेडल से चूकने का बेहद मलाल रहा। मिल्खा को मामूली अंतर से रह गए थे, जिसके चलते उन्हें चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। उन्होंने 45.6 का समय निकाला था वहीं कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था।

इसको लेकर मिल्खा सिंह ने एक इंटरव्यू में ओलंपिंग पदक से चूकने का कारण बताया था। उन्होंने कहा था, ‘मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया। इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी।’