बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन कहा कि, हमारे देश भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियादी ढांचा बेहद मजबूत है और इसमें फिर से तेजी से वृद्धि की राह पकड़ते हुए लौटने की क्षमता है हालांकि यह बात सच है बीते दो तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि लगातार कमजोर पड़ती हुई दिखाई दी, लेकिन हमारी सरकार इसको लेकर काफी सक्रिय रही।यही वजह है कि अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले अलग-अलग मुद्दे पर बीते कुछ दिनों से 12 बैठकें हुई हैं।
माना जा रहा है चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर पिछले 11 साल में न्यूनतम स्तर तक पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी लेते हुए कमर कस चुके हैं। यही वजह है वह खुद आगामी बचत में दखल देने की तैयारी में हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बीते गुरुवार को अर्थशास्त्रियों. निजी इक्विटी कारोबारियों, कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ बैठक की। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सड़क और राज्य परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। सरकार ने अनुमान लगाया है साल 2020 में 5 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर हासिल कर ली जाएगी, हालांकि देखा जाए तो पिछले वित्त वर्ष की वृद्धि दर से काफी कम है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत असीमित संभावना की धरती है और हम सब मिलकर काम करना चाहिए और एक राष्ट्र की तरह सोचना शुरु कर देना चाहिए। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी भरोसा दिलाया कि वे उन मुद्धों पर जरूर बात करेंगे जिन्हें जल्द लागू करने की जरूरत है। इसके अलावा दीर्घ कालिका अवधि में लागू होने वाले मुद्धों पर भी गहन चर्चा करेंगे क्योंकि अगर बुनियादी सुधार करने हैं तो हमें दीर्घकालिक अवधि पर विचार करने होंगे। इस पूरे मामले पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थशास्त्रियों और उद्योग के साथ बातचीत के दौरान आर्थिक वृद्धि, रोजगार वृद्धि समेत कई मुद्दों पर चर्चा की और विचार विमर्श किया।
आपको बता दें इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश की शीर्ष उद्योगपतियों के साथ भी मुलाकात की थी। इस दौरान अर्थव्यवस्था से लेकर रोजगार सृजन बढ़ाने तक के उपायों पर विचार विमर्श किया गया था।