माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। हिंदू के धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो ज्ञान की वृद्धि और उन्नति के लिए बच्चों की शिक्षा शुरू करने की परंपरा बसंत पंचमी से ही रही है।पुराणों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को सृष्टि के लिए आह्वान किया था और देवी प्रकट हुई थी। इसी वजह से देवी सरस्वती की पूजा युगों युगों से की जाती रही है।
इस बार सरस्वती पूजा यानी बसंत पंचमी के पर्व के लिए लोगों को कंफ्यूजन है। दरअसल इस बार कहीं 29 जनवरी तो कहीं 30 जनवरी को बसंत पंचमी मनाया जा रहा है। कुछ विद्वानों के अनुसार 29 जनवरी यानी आज से पंचमी तिथि प्रारंभ होती है। ऐसे में बसंत पंचमी आज से ही मनाया जा रहा है, हालांकि कुछ विद्वानों ने यह कहा है पंचमी तिथि का प्रारंभ सूर्योदय के एक प्रहर बाद हो रहा है।
ऐसे में सस्वती पूजा 30 जनवरी को करना ज्यादा बेहतर होगा।इसी बीच मेरठ के कंकरखेड़ा के बड़ा हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विनोद चौबे जी ने बताया कि गुरुवार को बसंत पंचमी मनाना ज्यादा श्रेष्ठ और शास्त्र के अनुसार होगा, क्योंकि वर्षो बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति बिलकुल सटीक बैठ रही है। इस बार 3 ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगा। यही वजह है इस बार कोई भी शुभ कार्य या फिर विवाह की स्थिति अच्छी मानी जा रही है।
ऐसे करे सरस्वती पूजा- अगर बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करने की विधि जाना जाए तो इसके लिए सबसे पहले ए पीले कपड़े के ऊपर देवी सरस्वती की प्रतिमा रख लीजिए। उसके बाद कलश स्थापित करके भगवान गणेश की पूजा करें। माता को सफेद या पीले रंग के फूल अर्पित करने के बाद उनका पूरा श्रृंगार करें।प्रसाद के रूप में सरस्वती मां को पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी भी चढ़ाई जाती है। माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं।शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती है। सरस्वती पूजा के दौरान पुस्तके या फिर वाद्यंत्रों का पूजन भी करें।
ये रही सरस्वती पूजा का मुहूर्त- बसंत पञ्चमी सरस्वती पूजा मुहूर्त – 10:45am से 12:34pm अवधि – 01 घण्टा 49 मिनट्स बसंत पञ्चमी मध्याह्न का क्षण – 12:34pm पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 29, 2020 को 10:45am बजे पञ्चमी तिथि समाप्त – जनवरी 30, 2020 को 01:19pm बजे।