भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने बायो-बबल थकान के बारे में खुलकर बात की, जिसका क्रिकेटरों को कोविड-19 महामारी के दौरान सामना करना पड़ रहा है। बुमराह ने ये बात आईसीसी पुरुष टी 20 विश्व कप के सुपर 12 चरण के ग्रुप 2 मैच में न्यूज़ीलैंड से हार के बाद एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में बोली।
एक टीम में खिलाड़ियों और कर्मचारियों के लिए बायो बबल बनाया जाता है। सभी इसके बाहर नहीं जा सकते ये उन्हें कोविड -19 से संक्रमित होने से बचाता है। महीनों तक फ्रैंचाइज़ी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों ने इस थकान के बारे में बात की है। इस बार बुमराह ने भी ये बात को दोहराया है।
बायो बबल से नकारात्मक प्रभाव
“आपको कभी-कभी एक ब्रेक की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है।खिलाड़ियों को अपने परिवार की याद आती है सभी काफी समय से परिवार से दूर है। करीब छह महीने होने वाले है। तो यह सब कभी-कभी आपके दिमाग में चलता रहता है। जब आप मैदान पर होते हैं, तो आप उन सभी के बारे में नहीं सोचते हैं। पर आप बहुत सी चीजों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। जाहिर तौर पर एक बुलबुले में रहना और इतने लंबे समय तक अपने परिवार से दूर रहना खिलाड़ियों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ,” जसप्रीत बुमराह ने रविवार को वर्चुअल पोस्ट-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।
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बायो बबल बना मानसिक थकान का कारण
” बीसीसीआई ने हमें सहज महसूस कराने के लिए हर सम्भव प्रयास किया है। यह कोविड का समय ही ऐसा है जिसमें हम अभी जी रहे हैं यह हम सब के लिए मुश्किल समय है। ये महामारी का समय है। हम अपनी पूरी कोशिश करते है कि इस बात को हम अपने ऊपर हावी न होने दे। पर कभी-कभी बुलबुला थकान, मानसिक थकान के आगे हम हार जाते है।”
सेमीफइनल की राह मुश्किल
ग्रुप 2 के दूसरे मैच में भारतीय टीम जीतने के लिए 111 रनों का एक मामूली लक्ष्य निर्धारित कर सकी थी। कीवी टीम ने 33 गेंद और 8 विकेट शेष रहते उसका पीछा कर किया। इस परिणाम का मतलब है कि भारत को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए अन्य टीमों के परिणाम में निर्भर होने की आवश्यकता होगी।
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