मनरेगा मजदूर की बेटी बनी IAS अफसर

New Delhi: 2018 के UPSC सिविल सर्विस एग्जाम के रिजल्ट कुछ दिनों पहले ही अनाउंस किए गए। हर साल लाखों लोग इस एग्जाम को क्रैक करने के लिए दिन-रात एक करते हैं। ताकि वो IAS और IPS बन सके। वहीं हर साल इसके रिजल्ट के साथ कुछ ऐसी सफलतापूर्ण कहानियां सामने आती हैं जिसे पढ़ने के बाद ये मानना जरूरी हो जाता हैं कि अगर आपमें कुछ करने की लगन हो तो आप उस मुकाम को हासिल कर ही लेते हैं।इस साल भी एक ऐसी ही UPSC क्रैक करने वाली लड़की की सफलता की कहानी सामने आई है।

ये कहानी है केरल के सबसे पिछड़े जिले वायनाड में रहने वाली 26 साल की श्रीधन्या सुरेश की। श्रीधन्या ने 2018 IAS एग्जाम में ऑल इंडिया 410 रैंक हासिल किए, श्रीधन्या ने तीसरी बार में ये एग्जाम क्रैक किया। उनकी ये सफलता वाकई में काबिल-ए-तारिफ है कि वह आईएएस परीक्षा को पास करने वाली केरल के तटीय राज्य की पहली आदिवासी महिला है। उनकी यात्रा पर एक नज़र यह साबित करती है कि यह सफलता अविश्वसनीय क्यों है और देश के गरीब और पिछड़े क्षेत्रों की हजारों युवा महिलाओं के लिए इसका क्या अर्थ है।

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श्रीधन्या के माता-पिता सुरेश और कमला मनरेगा मजदूर हैं, जो अपना घर चलाने के लिए बाजार में धनुष और तीर बेचते हैं। जब उनसे पूछा गया कि आईएएस अधिकारी बनने के लिए उन्हें कहा से प्रेरणा मिली, तो उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने श्रीराम सांबा शिवा राव को पहली बार एक आईएएस अधिकारी के रूप में देखा। जिस तरह से लोग एक कतार में उनका इंतजार कर रहे थे।

उस समय उन्हें एहसास कि आईएएस अधिकारी एक ऐसी चीज है जो वह हमेशा से बनना चाहती थी क्योंकि वह एक बच्ची थी और राव को IAS के रूप में देखकर उनके अंदर एक जनून पैदा हो गया, जिसने आज उन्हें भी एक IAS बना दिया।