New Delhi: इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप को झेल रही हैं। दुनिया के कई देशों में तो कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। ठीक वैसे ही जैसे भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन लगा है। अब इसी लॉकडाउन के चलते देश छोड़कर विदेशों में पढ़ने वाले कई भारतीय स्टूडेंट वहां फंस गए है। वहीं इसी यूके में फंसे भारतीय स्टूडेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक यातिका दायर की गई। जिसमें कोर्ट से मांग की गई को केंद्र सरकार से को ये निर्देश दें कि वो यूके मे फंसे भारतीय स्टूडेंट को निकाल कर स्वदेश लाए। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद केंद्र को नोटिस जारी किया है।
सरकारी वकील मधुरिमा मृदुल द्वारा दायर इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेच ने सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता से इस मामले में तत्काल निर्देश लेने का अनुरोध किया है। इसके साथ उन्होंने 13 अप्रैल को इस मामले की अगली सुनवाई रखी है।
ठीक इसी तरह की एक याचिका वकील गौरव कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी। जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने हाइकोर्ट बताया कि देश में चल रहे लॉकडाउन की वजह से इस समय देश के बाहर फंसे भारतीय को वहां से निकालना मुश्किल है। वकील गौरव कुमार ने ये PIL दिल्ली हाईकोर्ट में बांग्लादेश में फंसे मेडिकल स्टूडेंट को निकालने के डाला था।
वकिल मृदुल ने ब्रिटेन में बिगड़ती हालत और सभी इंटरनेशनल फ्लाइट को पोस्टपॉन्ड करने की मांग की है। भारत ने भी 23 मार्च से 14 अप्रैल तक सभी इंटरनेशनल फ्लाइट पर बैन लगा दिया है। कई भारतीय छात्र जिन्होंने भारत वापस आने के लिए अपनी फ्लाइट की टिकट बुक कि थी, लेकिन इस बैन के कारण भारत के लिए उड़ान नहीं भर सके और यूके में भी फंसे रहे। याचिकाकर्ता ने कहा “भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है जिसने अपने नागरिकों की वापसी पर बैन लगाया है, और जहां बाकी देश विभिन्न देशों में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए सभी संभव प्रयास कर रहे हैं, भारत ने अपने यात्रा प्रतिबंधों को असंभव बना दिया है अपने स्वयं के नागरिकों को घर वापस आने के सारे रास्ते बंद कर दिए।”।