New Delhi: अमेज़ॅन प्राइम पर रिलीज हुई तांडव वेब सीरीज के एक्टर्स और मेकर्स के खिलाफ पूरे देश के अलग अलग जगह पर FIR दर्ज की गई है। इन सभी FIR को कैंसिल करने की मांग वाली याचिका पर बुधवार के दिन भारत की सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने FIR पर रोक लगाने के लिए कोई भी निर्देश पारित करने के लिए अपनी असहमति व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को इन मामलों को खत्म करने के लिए हाई कोर्ट में जाना चाहिए।
सीनियर एडवोकेट फली एस. नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने अर्नब गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए मामले में राहत मांगी है। लूथरा ने तर्क दिया कि वेब सीरीज के निर्देशक को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इस तरह से देश में स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए, लेकिन देश भर में FIR दर्ज की जा रही हैं।” बैंच ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार पूर्ण नहीं है और यह प्रतिबंधों के अधीन है। नरीमन ने कहा कि माफी मांग ली गई है, और इसके बावजूद 6 राज्यों में कई FIR दर्ज की गई हैं।
जज अशोक भूषण ने जवाब दिया “आप चाहते हैं कि FIR को खत्म कर दिया जाए, फिर आप हाई कोर्ट से संपर्क क्यों नहीं कर सकते?” नरीमन ने कहा कि वेब सीरीज निर्माताओं ने आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया है और अभी भी उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, याचिकाकर्ताओं ने अनुच्छेद 32 के तहत अदालत को ट्रांसफर क्यों किया है। बैंच ने कहा कि अगर माफी मांग ली गई है तो पुलिस भी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।
वहीं रोहतगी ने अर्टिकल 19 (1) (A) के उल्लंघन के बाद शीर्ष अदालत को ट्रांसफर करने के लिए अर्नब गोस्वामी मामले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि लोग इन दिनों किसी भी चीज और हर चीज से नाराज हो जाते हैं। रोहतगी ने तर्क दिया, “कृपया बिना किसी कठोर कदम के हमारी रक्षा करें। हमने बिना किसी विरोध के सामग्री को हटा दिया। सीन को डिलीट दिया गया। यह एक राजनीतिक व्यंग है।”