ये 3 बदनसीब खिलाड़ी, जिनका घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद नहीं मिला टीम इंडिया में मौका

अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है। पर बहुत कम खिलाड़ी ऐसे होते है जिन्हे ये सपना जीने का मौका मिलता हैं।

आज हम बात करेंगे उन तीन बदकिस्मत खिलाड़ी जिन्हे डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार खेलने बावजूद अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका नहीं मिला। इनमे से एक खिलाड़ी के पास अब भी अपनी जगह बनाने का समय हैं।

सरफराज खान

images 19 3

सरफराज खान ने मुंबई के लिए खेलते हुए पिछले दो रणजी ट्रॉफी सीज़न में जबरदस्त फॉर्म दिखाया है क्योंकि उन्होंने लगातार दो सीज़न में 900 से अधिक रन बनाए हैं। एक सीज़न में सरफ़राज़ ने 928 तो दूसरे में 982 रन बनाए।

24 वर्षीय सरफराज का इस समय डॉन ब्रैडमैन के बाद प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दूसरा सबसे ज्यादा बल्लेबाजी औसत हैं। जिन्होंने 95.14 की औसत से 28067 रन बनाए हैं। 2022 सीज़न में, मुंबई के क्रिकेटर ने छह मैचों में 122.75 की औसत से 982 रन बनाए, जो उन्हें रणजी सीज़न में चौथे सबसे अधिक औसत वाला बल्लेबाज बनाता है। उन्होंने रणजी के इस सीजन में शानदार चार शतक और दो अर्धशतकीय पारी खेली।

सरफराज को आमतौर पर बल्लेबाजी की आक्रामक और अपरंपरागत शैली के लिए जाना जाता है। पिछले तीन वर्षों में, उन्होंने खुद को एक ऐसे बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया है जो खेल का लंबा रूप भी खेल सकता है। उन्होंने 2022 के रणजी सीज़न को सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में समाप्त किया। पर सरफराज अभी भी अपने मौके का इंतजार कर रहें है।

अमरजीत केपी

images 20 5

सूची में अगले स्थान पर अमरजीत केपी हैं, जो अपने समय में डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार बल्लेबाज रहें है। अमरजीत केपी के पास न केवल बहुत सारे रिकॉर्ड थे, बल्कि उनके पास काफी अच्छी अच्छी तकनीक भी थी। हरियाणा के बल्लेबाज ने 117 प्रथम श्रेणी मैचों और 32 लिस्ट ए खेलों में भाग लिया।

60 वर्षीय ने रणजी ट्रॉफी में 7894 रन बनाए, जिसमें 27 शतक और बैक-टू-बैक सीज़न में आठ शतकों के साथ 800 से अधिक रन बनाए। केपी रणजी ट्रॉफी खेल में एक ही मैच की दो पारियों में 150 से अधिक रन बनाने वाले भारत के प्रथम श्रेणी सर्किट के इतिहास में एकमात्र बल्लेबाज हैं। पर उन्हें केवल भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।

पद्माकर शिवलकर

images 16 4पद्माकर शिवलकर एक और शानदार स्पिनर थे पर उन्हें कभी भारतीय टीम के लिए खेलने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ।
81 वर्षीय पूर्व बाएं हाथ के स्पिनर ने 124 प्रथम श्रेणी मैच में 589 विकेट झटके।

शिवलकर ने 42 बार फाइव विकेट और 13 बार दस विकेट हॉल लिए हैं। उनकी गलती केवल इतनी थी कि वह कुछ शीर्ष स्पिनरों के समय में खेलते थे जिस कारण उन्हें कभी मौका ही नहीं मिला।

ये भी पढ़ें- समझ से परे, आखिर टीम इंडिया के सिलेक्टर्स क्यों करते हैं इन पांच खिलाड़ियों को बार-बार नजरअंदाज