हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शादी करते समय पति अपनी पत्नी की सिंदूर से मांग भरता है और इसके बाद पत्नियाँ अपने सुहाग के जीवित रहने तक इसका धारण करती है और नियमित सिंदूर को अपनी मांग में लगाती है.
मांग में सिंदूर लगाने के पीछे कई तरह के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण है जानकारों का कहना है, कि सर की जिस जगह सिंदूर लगाकर मांग भरी जाती है. वहां मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है. जिसे ब्रहारंध के नाम से जाना जाता है. इसे बहुत संवेदनशील माना जाता है यह ग्रंथि कपाल के अंत से लेकर सर के अंत तक जाती है.
यही कारण है, कि यहां सिंदूर लगाया जाता है. सिंदूर में एक धातु पाई जाती है जो सर की ब्रहारंध ग्रंथि के लिए औषिधि का काम करती है.
विशेषज्ञों का कहना, है कि इसे लगाने से महिलाओं का तनाव दूर रहता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रहता है.
सिंदूर सिर्फ महिलाएं इसलिए लगाती है, क्योंकि पुरषों के मुकाबलें महिलाओं का यह स्थान ज्यादा कोमल होता है.
वही कुछ धार्मिक लोगो का ऐसा भी मनाना ,है कि पत्नी के सिंदूर लगाने से पति की आकस्मिक निधन नहीं होता है और कहा जाता है, कि इसे लगाने से पति कई तरह के संकट से भी बाच जाता है.