महेंद्र सिंह धोनी का नाम दुनिया के सबसे बेहतरीन कप्तानों में लिया जाता है। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एमएस धोनी जैसा कप्तान शायद ही आज तक किसी को देखा गया हो। हालांकि, लिमिटेड ओवर क्रिकेट में बेहतरीन बल्लेबाजी करने वाले धोनी टेस्ट क्रिकेट में काफी पीछे रहे। उन्होंने अपने करियर में 90 टेस्ट मैच खेले, लेकिन प्रभावशाली प्रदर्शन ज्यादा नहीं कर पाये।
वहीं, दूसरी ओर 24 वर्षीय ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को भारतीय इतिहास का सबसे बेहतरीन विकेटकीपर-बल्लेबाज माना जाने लगा है। इस खिलाड़ी ने मात्र 31 मैचों के छोटे से टेस्ट करियर में कई बड़े-बड़े रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं।
उन्होंने अब तक अपने करियर में कुल 5 शतक जड़े हैं जिसमें से 4 शतक एशिया के बाहर लगाए गए हैं, जबकि एमएस धोनी इतने लंबे करियर के बावजूद एशिया के बाहर एक भी शतक नहीं जड़ सके थे।
इस आर्टिकल में हम आपको वो 3 कारण बतायेंगे, जिस वजह से ऋषभ पंत (Rishabh Pant) टेस्ट क्रिकेट में एमएस धोनी से बड़े बल्लेबाज नजर आते हैं।
1.विदेशी धरती पर ऋषभ पंत का धोनी से बेहतर प्रदर्शन
पूर्व भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने अपने टेस्ट करियर (2006-2014) में घर से बाहर 48 टेस्ट मैच खेले, जिसकी 83 पारियों में उन्होंने 32.84 की औसत से रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक और 18 अर्धशतक निकले।
वहीं, युवा बल्लेबाज ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने विदेशी सरजमीं पर 22 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसकी 39 पारियों में उन्होंने 38.38 की औसत से 1,382 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 4 शतक और 3 अर्धशतक निकले हैं। विदेशी सरजमीं पर उनके द्वारा एक पारी में बनाया गया सर्वश्रेष्ठ स्कोर 159* है। उन्होंने यह पारी 2019 में सिडनी के ग्राउंड पर खेली थी।
महेंद्र सिंह धोनी ने अपने पूरे करियर में एशिया के बाहर 39 टेस्ट मैच खेले, लेकिन वे एक भी शतक नहीं बना पाये, जबकि ऋषभ पंत एशिया के बाहर 23 मैचों में ही 4 शतक जड़ चुके हैं।
2.संकट के समय आते हैं टीम के काम
टेस्ट क्रिकेट में पांचवे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले ऋषभ पंत (Rishabh Pant) टीम की कमजोर स्थिति में शानदार प्रदर्शन करते हैं। कई बार उनकी बेहतरीन पारी की बदौलत भारत को जीत भी मिली है।
उन्होंने पहली बार 2018 के इंग्लैंड दौरे पर अंतिम टेस्ट मैच में शतक जड़ा था। उस समय टीम इंडिया 121 रन पर पांच विकेट खो चुकी थी। हालांकि इस मैच में केएल राहुल ने भी शतकीय पारी खेली थी, लेकिन फिर भी भारत को हार का सामना करना पड़ा था।
2019-20 और 2020-21 के आस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी में उनकी क्रमशः 159 और 97 रनों की पारी ने मैच को ड्रॉ कराने में मदद की थी। 2020-21 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गाबा में ऋषभ पंत की 89 रनों की पारी की बदौलत भारतीय टीम ने न सिर्फ मैच में ऐतिहासिक जीत हासिल की, बल्कि सीरीज पर भी 2-1 से कब्जा किया।
उन्होंने इसी तरह कई बार टीम की रक्षा की है। गत 1 जुलाई को एजबेस्टन में खेले जा रहे निर्णायक मुकाबले में जब भारतीय टीम ने 64 के स्कोर पर 3 विकेट खो दिया था और कुछ ही देर में 98 के स्कोर पर 5 विकेट गिर गए तो उन्होंने बल्लेबाजी की कमान संभालते हुए 111 गेंदों पर 146 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली और रवींद्र जडेजा के साथ 222 रनों की बड़ी साझेदारी करके अपनी टीम को मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया।
3. छोटे से टेस्ट करियर में बड़ा मुकाम
एमएस धोनी के टेस्ट करियर की सबसे बेहतरीन आईसीसी रैंकिंग 19 और रेटिंग प्वाइंट 662 रही। वहीं, 24 वर्षीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने अब तक 31 मैचों के छोटे से करियर में वह कारनामा कर के दिखाया जो आज तक भारतीय टेस्ट इतिहास में कोई भी विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं कर सका।
बता दें कि, 21 जून 2021 को आईसीसी द्वारा जारी की गई टेस्ट बल्लेबाजी रैंकिंग में ऋषभ पंत सातवें स्थान पर थे और उनकी रेटिंग प्वाइंट 752 थी। किसी भी भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए यह सबसे ऊंची रैंकिंग और रेटिंग पॉइंट है। यह दर्शाता है कि ऋषभ पंत टेस्ट क्रिकेट में एमएस धोनी से भी बड़े बल्लेबाज हैं।
एजबेस्टन टेस्ट से पहले ऋषभ पंत की आईसीसी रैंकिंग 11 और रेटिंग प्वाइंट 738 था। वर्तमान समय में भी दुनिया का कोई भी विकेटकीपर बल्लेबाज आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में उनसे ऊपर नहीं है।
इस रैंकिंग और रेटिंग पॉइंट को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि वह आने वाले समय में इतिहास के सबसे बड़े विकेटकीपर बल्लेबाजों में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं।