भारत के मेजबान होने के बावजूद, उसे संयुक्त अरब अमीरात में ICC T20 विश्व कप आयोजित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जैसा कि पिछले महीने इंडियन प्रीमियर लीग के अंतिम सप्ताह के दौरान देखा गया था, यूएई के सभी तीन स्थानों पर खेल में ओंस का असर देखा गया था। सात सुपर 12 मैचों में से छह मैच उस टीम ने जीते जिसने पहले क्षेत्ररक्षण किया। परिस्थिति बिल्कुल भारतीय पिचों के समान है। मैच में टॉस सबसे अहम है क्योंकि टॉस जीतने वाले कप्तान को क्षेत्ररक्षण चुनने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
टॉस जीतने वाली टीम के जीतने की संभावना ज्यादा
“हां, निश्चित रूप से इस टूर्नामेंट में टॉस एक कारक होने जा रहा है। अगर मैच के बाद के हाफ में ओस गिरती है, तो आपको पहले हाफ में उन अतिरिक्त रनों की जरूरत होती है, ”भारत के कप्तान विराट कोहली ने रविवार रात दुबई में पाकिस्तान से हार के बाद कहा था।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया को मिली हार का सबसे प्रमुख कारण में से एक ओस भी थी। ऐसे में निश्चित तौर पर इस बार की टेंशन न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाले मुकाबले को लेकर विराट कोहली को लेकर रहेगी।
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बता दें, आईपीएल में हैदराबाद फ्रेंचाइजी की कप्तानी करने वाले न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने भी स्वीकार किया कि ओस एक प्रमुख तत्व के रूप में उभर रही है।
2014 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश में भी हुई थी दिक्कतें
2014 का टी 20 वर्ल्ड कप जो की बांग्लादेश में हुआ था में भी ओंस सबसे बड़ा फैक्टर रहा था। ओंस के कारण खिलाड़ियों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कई टीमों ने मैचों से पहले गीली गेंदों से अभ्यास तक किया था। उस समय ओंसरोधी स्प्रे का भी उपयोग आउट फील्ड में किया गया था।
भारत की NCA अकादमी में करवाई जाती है ट्रेनिंग
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बंगलुरू स्तिथ NCA में गीली गेंद का प्रयोग पाठ्यक्रम का हिस्सा है। यहां खिलाड़ियों को गीली करी गई गेंद से खिलाया जाता है जिससे वह ओंस की स्तिथि में आराम से बिना दिक्कतों से खेल सके। गीली गेंद एकदम ओंस वाली गेंद का फील तो नहीं देती लेकिन कुछ हद तक खिलाड़ियों को इसकी आदत हो जाती है।