UAE के सेंट्रल बैंक और उनके साथ के कमर्शल बैंकों ने देश के सभी निवासियों को फ़िशिंग हमलों से सावधान रहने के लिए कहा है क्योंकि धोखेबाज़ अपनी धोखाधड़ी वाली एक्टिविटी के लिए अलग अलग रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। बैंकों और देश की पुलिस ने सभी निवासियों को चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान ऐसी कई सारी फ़िशिंग ईमेल में वृद्धि हो रही है। जिसमें लोगों को फंसा कर धोखेबाज़ कोरोना वायरस की स्थिति का लाभ उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि UAE के सभी निवासियों को किसी के साथ भी अपनी निजी या बैंक खाते की जानकारी शेयर नहीं करनी चाहिए। कॉमर्स बैंकों की तरफ से जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने सोमवार को चेतावनी दी कि वह कभी भी कस्टमर से उनके पर्शनल डिटेल नहीं मांगता है और ऐसे किसी भी कॉल या मैसेज को धोखाधड़ी माना जाना चाहिए।
उन्होंने अपने एक बयान में कहा, “हम यूएई के सेंट्रल बैंक में पुष्टि करते हैं, हम किसी कस्टमर से उसकी निजी जानकारी जैसे कि पसर्नल बैंक खाते की जानकारी के बारे में नहीं पूछते है। इस लिए ऐसे कॉल और मैसेज पर कस्टमर को सचेत रहने की जरूरत है। बता दें कि दुर्भावनापूर्ण फोन कॉल और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए भी अवगत होने का दावा करते हैं। सेंट्रल बैंक ऐसा कभी नहीं करता हैं। ”
इसके साथ ही उन्होंने जनता को ऐसी कॉल्स, मैसेजे पर रिएक्शन देने और संलग्न किए जाने वाले किसी भी हाइपरलिंक को खोलने से बचने की चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि दिए लिंक पर आपके एक क्लिक से आपका एकाउंट वेबसाइट खुल सकता है,जिसका आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर आपके पास ऐसी लिंक, मैसेज और कॉल आती हैं तो आप अधिकारियों को तुरंत सूचित करिए।
गौरतलब है कि यूएई में साइबर अपराध के खिलाफ स्पष्ट कानून हैं, जिसमें कठोर दंड शामिल हैं और जिसमें Dh3 मिलियन तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसके साथ ही बिना किसी अनुमति के किसी वेबसाइट, नेटवर्क या सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करते हुए पकड़े जाने वालों Dh50,000 का न्यूनतम जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही जेल भी भेजा जा सकता है। वहीं किसी के प्राइवेसी को छेड़ने पर साइबर अपराधियों को छह महीने की जेल हो सकती है और Dh150,000 से Dh300,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।