रोहित शर्मा भारत के लिए तीनों प्रारूपों के कप्तानी संभालते हैं। पिछले कुछ समय से रोहित ज्यादा क्रिकेट नहीं खेल रहें है। इसका एक कारण उनके ऊपर बहुत सारा भार होना भी है। ऐसे में भारत को छोटे प्रारूप के लिए अपने लिए एक नए कप्तान की जरूरत है।
आइए जानते है क्यों सीमित ओवर में टीम इंडिया के लिए रोहित शर्मा से क्यों बेहतर कप्तान हैं हार्दिक पांड्या
फिटनेस से जूंझ रहे है 34 वर्षीय हिटमैन, टीम को हार्दिक जैसे युवा कप्तान की जरूरत
फिटनेस रोहित शर्मा के मजबूत पक्षों में से एक बिलकुल नहीं है। विराट कोहली और एमएस धोनी के विपरीत, हिटमैन के 39 या 40 साल की उम्र तक खेलते रहने के चांस काफी कम है। रोहित अभी 34 के हो चुके है। 2 या तीन साल से ज्यादा समय तक उनका क्रिकेट में बने रहने की उम्मीद करना बहुत अधिक हो सकता है।
रोहित पहले ही फिटनेस, चोट और अन्य कारणों से कई श्रृंखलाओं से चूक चुके हैं। ऐसे में 28 वर्षीय हार्दिक जो पहले ही आईपीएल में अपना हुनर साबित कर चुके है। लॉन्ग टर्म को देखते हुए एक बेहतर कप्तान साबित हो सकते है।
कप्तान के रूप में सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने की क्षमता रखते है हार्दिक पांड्या
हार्दिक एक कप्तान के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने की क्षमता रखते है, जो कि पिछले एक दशक में केवल विराट कोहली और एमएस धोनी ही दिखा पाए हैं। चाहे वह निर्णय लेने की बात हो या सबसे मुश्किल परिस्थितियों में भी अपना आपा न खोने की, हार्दिक के पास कप्तान बनने के हर कोई लक्षण है।
हार्दिक ने जबसे गुजरात टाइटंस के लिए कप्तानी की है उनका खेल काफी सुधरा है। ऐसे में अपने मुख्य ऑल राउंडर के खेल में निखार लाने के लिए हार्दिक को कप्तानी सौंप देना चाहिए। रोहित को इस समय केवल अपने खेल में ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
वर्क लोड मैनेजमेंट के चलते केवल टेस्ट की कप्तानी देनी चाहिए हिट मैन को, हार्दिक छोटे प्रारूप में खुद को कर चुके है साबित
रोहित शर्मा के पास तीनों प्रारूपों की कप्तानी है, पिछले कुछ समय में भारतीय टीम ने बार बार नए नए लोगो को कैप्टन की जिम्मेदारी दी है। कभी रोहित के आराम में होने के कारण तो कभी उनके फिटनेस के कारण। ऐसे में रोहित को केवल टेस्ट मैच की कप्तानी दे कर ये छोटे प्रारूप में हार्दिक को कप्तान बना देना चाहिए।
इससे भारतीय टीम को एक स्टेबल कप्तान मिलेगा जो आने वाले समय में टीम के लिए वर्ल्ड कप भी ला सकता है। हार्दिक की सोच और समझ को देखते हुए छोटे प्रारूप में वह सबसे बेहतर साबित हो सकते है।