संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) में खेले जा रहे टी-20 वर्ल्ड कप के सातवें संस्करण में एक नई चीज निकल कर सामने आ रही है। जो कि काफी अहम है। बीते दिन बुधवार तक टूर्नामेंट के सुपर-12 में अब तक 9 मुकाबले खेले जा चुके हैं। जिसमें से आठ मुकाबले उन टीमों ने जीते हैं। जिन्होंने टॉस अपने नाम क्या है। अगर हम इंग्लैंड और बांग्लादेश के बीच खेले गए मैच को हटा दें तो बाकी मुकाबलों में टॉस जीतने वाली ही टीमों ने मैच जीते हैं।
शाम होते ही गिरने लगती है ओस
T-20 वर्ल्ड कप मौजूदा समय में यूएई में खेला जा रहा है। अगर हम वहां के इस वक्त के मौसम की बात करें तो वहां का मौसम 25 डिग्री से लेकर 30 डिग्री सेल्सियस तक है। ऐसे में ना तो ज्यादा सर्दी और ना ही ज्यादा गर्मी है। शाम होते ही ओस पड़ने लगती है।
मैच के दौरान ओस के चलते गेंदबाजी करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसीलिए टीमें टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लेती हैं। क्योंकि जब मैच की शुरुआत होती है, तो उस समय ओस काफी कम रहती है। जैसे -जैसे समय बीतता है वैसे-वैसे भी ज्यादा गिरने लगती है।
कोहली भी कर चुके हैं ज़िक्र
टूर्नामेंट में खेल रही सभी टीमों के लिए ओस पड़ना चिंता का विषय बन गया है। क्योंकि शाम होते ही ओस गिरने लगती है। जो बाद में गेंदबाज़ी करने वाली टीम के लिए सिरदर्द बन जाती है। बीते 24 अक्टूबर को भारत पाकिस्तान के बीच हुए मैच के बाद इंडियन कैप्टन कोहली ने भी इस बात का जिक्र किया था।
उन्होंने कहा था कि वह भले ही सुनने में आपको बहुत छोटा रीजन लग रहा हो। लेकिन यह बहुत बड़ा है। ओस के चलते बोलर्स को गेंदबाजी करने में मुश्किलें आ रही हैं। ओस से ज्यादा परेशानी तेज़ गेंदबाजों को हो रहीं हैं। क्योंकि तेज़ गेंदबाज़ फुल लेंथ की डिलीवरी करता है।
पाकिस्तान के खिलाफ तेज गेंदबाजों को हुई थी परेशानी
अगर बात भारतीय गेंदबाजों की करें तो मोहम्मद शमी और बुमराह दोनों ही तेज गेंदबाजी करते हैं। वहीं भुवी व शार्दुल ठाकुर मध्यम गति की गेंदबाजी करते हैं। ओस के कारण गेंदबाज़ की ग्रिप पर असर पड़ता है। हर गेंदबाज की अलग-अलग ग्रिप होती है। ओस में भीगकर गेंद चिकनी हो जाती है। जिससे तेज गेंदबाज को गेंद फेंकने में काफी दिक्कतें आती हैं। गेंद हाथ से छूट जाती है। इसका उदाहरण हमें भारत-पाकिस्तान के बीच हुए मैच में देखने को मिला था। शमी ने जब भी फुल लेंथ की गेंदबाजी करने की कोशिश करते तो गेंद फुलटॉस हो जा रही थी।
दरअसल ओस से गेंद के गीली होने की चिंता के बीच सिर्फ अफगानिस्तान की एक ऐसी टीम रही है। जिसने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया और मैच भी जीता दूसरी तरफ बांग्लादेश ने इंग्लैंड के खिलाफ टॉस अपने नाम किया। पहले बल्लेबाजी चुनी लेकिन मैच हार गए बाकी के साथ मैच ऐसे रहे जिनमें टीमों ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग ना चुनकर फील्डिंग करने का निर्णय लिया और मैच अपने नाम किया ऐसे में सवाल उठता है। क्या वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में ओस इतना बड़ा फैक्टर बन सकती है क्या?