पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और डोकलाम विवाद में चीन को पटखनी देने में अहम भूमिका निभाने वाले जनरल विपिन रावत अब सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो चुके हैं। उन्हें अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस के पद की जिम्मेदारी दी गई है।
आपको बता दें, चीफ ऑफ स्टाफ पर नियुक्त किए जाने वाले जनरल विपिन रावत पहले शख्स है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह है, जिसके कारण देश को सीडीएस यानि चीफ ऑफ स्टाफ पद की जरूरत पड़ी।
इस वजह से देश को चीफ ऑफ स्टाफ की जरूरत
साल 1999 में कारगिल युद्ध के बाद जब साल 2001 में उस वक्त के उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी तो उसने पाया कि तीनों सेनाओं में तालमेल और समन्वय की कमी रही। अगर तीनों सेनाओं में तालमेल ठीक तरीके से हुए होता तो कारगिल युद्ध में हमें बेहद ही कम नुकसान होता। ऐसे में उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS का पद बनाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन उसके बाद राजनीतिक स्तर पर सहमति नहीं मिल पाने की वजह से यह पूरा नहीं हो सका था, हालांकि मोदी सरकार ने इस सुझाव को पूरा करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का ऐलान किया और अब इस पद का कार्यभार जनरल विपिन रावत को सौंप दिया गया है। वे इस पद को कल संभालेंगे।इस पद पर बैठा शख्स की जिम्मेदारी तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में बतौर रक्षा मंत्री सलाह देना होता है। यह रक्षा मंत्री का प्रधान सलाहकार कहलाता है, हालांकि तीनों सेनाओं के प्रमुख रक्षा मंत्री को सैन्य मामलों से जुड़ी सलाह पहले की तरह देते रहेंगे।
बता दें, हाल ही में मोदी सरकार की तरफ से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद की मंजूरी दी गई थी। यह शख्स बगैर रक्षा सचिव की मंजूरी के रक्षा मंत्री से सीधे मुलाकात कर सकता है और सैन्य से जुड़ी मामलों की जानकारी पर बातचीत कर सकता है।